बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन
प्रश्न- विद्यालयीय चिकित्सा सेवा से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न पक्षों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
विद्यालयीय चिकित्सा सेवा का शब्दिक अर्थ है - विद्यालय में छात्रों के स्वास्थ्य की रक्षा एवं उपचार सम्बन्धी सेवा। किन्तु इस अर्थ में यह शब्द अत्यन्त व्यापक रूप धारण कर लेता हैं जो कि इसके तात्पर्य की परिधि का उल्लंघन कर जाता है। अतः यहाँ विद्यालयीय चिकित्सा सेवा का अर्थ उस प्रक्रिया से है जिसके अन्तर्गत छात्रों के स्वास्थ्य का मूल्यांकन, उनके स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उनका सहयोग करना, बालकों के माता-पिता को को उनके बालकों के स्वास्थ्य सम्बन्धी रोगों एवं दोषों से परिचित कराना, रोगों की रोकथाम के उपाय बताना तथा यथासम्भव उनका उपचार करना सम्मिलित होता है। दूसरे शब्दों में विद्यालय में छात्रों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए विभिन्न उपायों का उपयोग करने को विद्यालय चिकित्सा सेवा कहा जाता है। इसके लिए विद्यालय बालकों के माता-पिता अथवा अभिभावकों, चिकित्सकों, परिचारिकाओं, शिक्षकों, मनौवैज्ञानिकों आदि का सहयोग प्राप्त करता है।
विद्यालयीय चिकित्सा सेवा के विभिन्न पक्ष
विद्यालयलय चिकित्सा सेवा के अर्थ से यह स्पष्ट है कि इसके निम्नलिखित पक्ष
(1) छात्रों के स्वास्थ्य का मूल्यांकन एवं निरीक्षण - विद्यालयीय चिकित्सा सेवा के अन्तर्गत सभी छात्रों की स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं का ज्ञान प्राप्त किया जाता है तथा छात्रों के स्वास्थ्य स्तर को निर्धारित किया जाता है जिसके लिए छात्रों के स्वास्थ्य का मूल्यांकन एवं निरीक्षण किया जाता है। इस प्रकार से किये गये स्वास्थ्य निरीक्षण के द्वारा छात्रों में होने वाले सम्भावित रोगों के प्रारम्भिक लक्षणों एवं शारीरिक दोषों का सहज ही ज्ञान हो जाता है।
(2) प्राथमिक चिकित्सा - प्राथमिक चिकित्सा विद्यालयीय चिकित्सा सेवा का प्रमुख अंग होती है, क्योंकि प्रायः विद्यालय में खेलते समय अथवा विद्यालय आते समय बच्चे दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं जिससे उन्हें चोट-मोच, रक्तस्राव आदि से ग्रस्त होते ही प्राथमिक उपचार सेवा प्रदान की जाती है।
(3) संक्रामक रोगों का निदान एवं नियन्त्रण - एक शरीर से दूसरे शरीर में रोग के कीटाणुओं द्वारा फैलने वाले रोगों को संक्रामक रोग कहा जाता है। विद्यालय में क्योंकि विभिन्न परिवारों से छात्रों का आगमन होता है और यदि किसी बच्चे को अपने परिवार से ही ऐसा रोग हो जाये तथा उसी स्थिति में वह विद्यालय में आ जाये तो उससे अन्य बच्चों को भी वह रोग लगने की सम्भावना रहती है। अतः विद्यालय में शिक्षकों का यह कर्तव्य होता है कि ऐसे रोगों को संक्रमित होने से रोकने की व्यवस्था करें तथा बच्चों को ऐसे रोगों से बचने के लिए अपनाये जाने वाले उपायों का ज्ञान प्रदान करें। इसके अतिरिक्त यदि किन्हीं छात्रों को संक्रामक रोग हो जाये तो उनके उपचार की भी समुचित व्यवस्था करना विद्यालय चिकित्सा सेवा का कार्य है।
( 4 ) बाधाग्रस्त छात्रों की शिक्षा एवं देखभाल - जो बच्चे देखने, सुनने और बोलने में समर्थ नहीं होते उनको बाधाग्रस्त बालक कहा जाता है। ऐसे बच्चों का सामान्य छात्रों के साथ पढ़ाना सम्भव नहीं होता है। इसी कारण विद्यालय में ऐसे बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए *विशेष प्रकार की अलग व्यवस्था करना आवश्यक हो जाता है यह भी विद्यालय चिकित्सा सेवा का ही एक अंग है।
(5) शारीरिक स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा - विद्यालय चिकित्सा सेवा के अन्तर्गत विद्यालय में व्यायाम, आसन, खेलकूद आदि के लाभ एवं महत्तव को समझाया जाता है जिससे छात्रों के शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा होती है। इसके अलावा छात्रों का समुचित रूप से शारीरिक विकास हो सके, इसके लिए उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों एवं सिद्धान्तों की जानकारी प्रदान की जाती है।
(6) मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा - यह एक सर्वमान्य सिद्धान्त है कि स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। अतः शारीरिक स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य ठीक करना होता है। इसके अतिरिक्त यह भी अनेक अनुसंधानों द्वारा सिद्ध हो चुका है कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। अतः यह भी ध्यान रखा जाना आवश्यक हो जाता है कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी, सन्तुलित रहे जिसके लिए मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान की जानी आवश्यक हो जाती है।
(7) यौन शिक्षा -अन्य अनेक प्रवृत्तियों की भाँति ही यौन प्रवृत्ति भी व्यक्ति की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती हैं जो कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। अतः विद्यालय चिकित्सा सेवा के अन्तर्गत इस शिक्षा को प्रदान करना आज के समय की मुख्य माँग है।
विद्यालयीय चिकित्सा सेवा के कार्य
विद्यालयीय चिकित्सा के मुख्य कार्यों का विवेचन निम्न प्रकार से किया जा सकता है-
(1 ) छात्रों का स्वास्थ्य परीक्षण - विद्यालय के छात्रों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करना विद्यालय चिकित्सा सेवा का मुख्य कार्य है जिसके निम्नलिखित लाभ होते हैं—
(1 ) नियमित स्वास्थ्य पीरक्षण करने से छात्रों के दृष्टिदोष, बहरापन, अशुद्ध आसन, रोग क्षीणता जैसे सामान्य दोषों का निदान एवं उपचार समय से किया जा सकता है।
(2) इसके द्वारा बाधाग्रस्त छात्रों का पता लगाकर उन्हें विशिष्ट विद्यालयों में स्थानान्तरित करने में सुगमता रहती है।
(3) इससे अभिभावकों को शिशु के स्वस्थ जीवन की आवश्यकताओं का सुगमता से ज्ञान कराया जा सकता है।
(4) इसके द्वारा बालकों के व्यक्तिगत दोषों का प्रारम्भिक स्थिति में पता चल जाता है जिससे उनका निदान एवं उपचार करने में सुविधा रहती है।
(5) बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करने का एक लाभ यह होता है कि इससे जन स्वास्थ्य विभाग को बड़ी सहायता प्राप्त होती है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करने के अनेक लाभ हैं। अतः विद्यालय जीवन में छात्रों का तीन प्रकार की स्थितियों में अवश्य स्वास्थ्य पीरक्षण करना चाहिए-
(i) जब छात्र विद्यालय में प्रवेश करे उसी समय तथा विशेष स्थिति में जब कि किसी बालक में किसी रोग के लक्षण दिखाई दें, उस समय उसका परीक्षण अवश्य करना चाहिए।
(ii) प्राथमिक पाठशाला में पाँचवीं कक्षा के अन्त में तथा
(iii) माध्यमिक स्तर के अन्तिम चरण में।
(2) विद्यालय क्लीनिक तथा बाल निर्देशन क्लीनिक की स्थापना - प्रायः यह देखा जाता है कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय से चिकित्सालय दूर-दूर स्थित होते हैं जिनसे आकस्मिक रूप से रोगग्रस्त हुए बच्चों को तत्काल चिकित्सा उपलब्ध कराना सम्भव नहीं होता। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों के चित्सिालयों में भी सामान्य रोगों एवं दोषों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता, अतः बच्चों के रोगों के प्रारम्भ में ही रोकथाम एवं उपचार के लिए विद्यालय प्रागंण में ही एक क्लीनिक का होना आवश्यक हो जाता है।.
इसके अलावा विद्यालय में बालनिर्देशन क्लीनिक भी होना चाहिए जिसके द्वारा छात्रों का परीक्षण करने से प्राप्त परिणामों के आधार पर छात्रों में पाये गये अकारण भय, चिन्ता, क्रूरता, चोरी करना आदि दोषों के सुधार के लिए आवश्यक निर्देश प्रदान किया जा सके। इसमें रोगी छात्रों क़ा उपचार एवं निदान करने के लिए कुशल मनोवैज्ञानिक, मानसिक रोगं विशेषज्ञ तथा प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्त्ताओं का प्रबन्ध होना चाहिए।
(3) विद्यालय में स्वास्थ्य अधिकारी एवं परिचारिकाओं की व्यवस्था - विद्यालय में छात्रों के स्वास्थ्य परीक्षण को समुचित ढंग से पूर्ण करने के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि विद्यालय में एक चिकित्सा अधिकारी तथा परिचारिकाओं की यथोचित व्यवस्था होनी चाहिए ऐसा करने से जहाँ स्वास्थ्य परीक्षण अविलम्ब होगा वहीं छात्रों के अनेक रोगों एवं दोषों का प्रारम्भिक स्थिति में ही उपचार एवं निदान सम्भव हो सकेगा।
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- प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ स्पष्ट करते हुए नेतृत्व के प्रकार तथा आवश्यकता की विवेचनाकीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए नेता के सामान्य गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में नेतृत्व की महत्ता की विवेचना शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में विस्तार से कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व से सम्बन्धित किन्हीं दो सिद्धान्तों को विस्तार से विवेचित कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय नेता के रूप में प्राचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व में नैतिकता और शिष्टाचार का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रभावी शैक्षिक नेतृत्व के विकास के सोपान को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातांत्रिक व निरंकुशवादी नेतृत्व में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व की अवधारणा लिखिए।
- प्रश्न- विद्यालय प्रशासन में ग्रिफिथ्स द्वारा कल्पित विद्यालय तन्त्र की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय के शैक्षिक प्रशासन में मानवीय सम्बन्धों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानाचार्य तथा शिक्षक के सम्बन्ध पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संघर्षरहित वातावरण की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व में समूह बनाने की अवधारणा लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के प्रबन्धन का अर्थ स्पष्ट करते हुए शिक्षा में प्रबन्ध के कार्य क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रबन्धन के महत्व को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं? इसकी समुचित परिभाषा देते हुए विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रबन्धन की अवधारणा स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषता एवं क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के कार्यों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षा प्रबन्ध में अन्तर समझाइए तथा शिक्षा प्रबन्ध की महत्वपूर्ण दशाएँ बताइए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रबन्धन के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताये ?
- प्रश्न- पोस्डकॉर्ब (POSDCORB ) को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- कुछ प्रमुख विचारकों द्वारा बताये गये प्रबन्धन के कार्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रबन्ध के क्षेत्र को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की आवश्यकता एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले तत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे प्रबन्धक की विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- विद्यालय में कक्षा-कक्ष प्रबन्धन से क्या आशय है? कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की प्रक्रिया को समझाइये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का अर्थ एवं सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्याओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल के प्रमुख घटक या चर कौन-से हैं ?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के उद्देश्य लिखिए ?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कोई पाँच कारक लिखिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के सिद्धान्तों की व्याख्या संक्षेप में कीजिये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्यायें बताइये?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष के प्रमुख घटक या चर कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षाकक्ष प्रबन्धन में शिक्षक की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की क्यों आवश्यकता है ?
- प्रश्न- टीम निर्माण की आवश्यकता बताते हुए टीम निर्माण में सम्प्रेषण के महत्व की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- सम्प्रेषण का क्या अर्थ है? इसकी आवश्यकता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? विद्यालय में सम्प्रेषण के विभिन्न स्तरों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की कौन-कौन सी विधियाँ एवं प्रविधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं? सम्प्रेषण की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण के आधार पर टीम निर्माण के निहित तत्वों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- दल-निर्माण में सम्प्रेषण की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- टीम निर्माण में सम्प्रेषण के सिद्धान्तों का प्रयोग समझाइये ?
- प्रश्न- दल निर्माण के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सम्प्रेषण में सुधार करने के लिए दल निर्माण की भूमिका का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सम्प्रेषण किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की आवश्यकता तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन में स्वोट (SWOT) विश्लेषण क्या है ? स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन की गुणवत्ता को प्रभावशाली बनाने में स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- Swot स्वोट विश्लेषण के लाभ समझाइये।
- प्रश्न- स्वोट विश्लेषण का मूल्यांकन कैसे किया जा सकता है? समझाइये।
- प्रश्न- SWOT स्वोट विश्लेषण के रूप या प्रकार बताइये।
- प्रश्न- स्कूल या विद्यालय का अर्थ व परिभाषा बताते हुए उसके कार्यो की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय और समाज एक-दूसरे पूरक एवं सहयोगी हैं, विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन के निर्माण, साज-सज्जा तथा रख-रखाव पर विस्तृत वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन या निर्माण के आवश्यक घटकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन से क्या तात्पर्य है? विद्यालय भवन निर्माण के आवश्यक तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय पुस्तकालय से आप क्या समझते हैं? पुस्तकालय के उद्देश्य एवं लाभ का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन निर्माण के चरण (Steps) बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन में लर्निंग कार्नर किसे कहते हैं?
- प्रश्न- विद्यालय भवन के प्रमुख कक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय / स्कूल की मुख्य विशेषतायें समझाइये।
- प्रश्न- विद्यालय की आवश्यकता एवं महत्व को बताइये।'
- प्रश्न- भौतिक संसाधन प्रबन्धन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन-निर्माण के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय छात्रावास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'समय सारणी शिक्षण-अधिगम के कुछ मूल सिद्धान्तों पर आधारित होती है, केवल मात्र मुख्याध्यापक की मर्जी पर नहीं।' इस कथन को स्पष्ट करते हुए समय-सारणी के निर्माण सम्बन्धी सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के प्रकार बताइये तथा कक्षा विद्यालय की समय-सारणी 'का उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- समय-सारणी चक्र का निर्माण करने के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समय सारणी चक्र के निर्माण करने के विशिष्ट सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समय-सारिणी चक्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय वातावरण का अर्थ समझाइए।
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के सोपान (Steps ) बताइये।
- प्रश्न- समय-सारणी की पाँच विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ?
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय में समय चक्र की आवश्यकता व महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समय तालिका के निर्माण में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समय तालिका निर्माण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगशाला से आपका क्या तात्पर्य है? प्रयोगशाला स्थापना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- एक अच्छी प्रयोगशाला से छात्रों को क्या-क्या लाभ प्राप्त हुए हैं ? साथ ही प्रयोगशाला संचालन करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ? उसका उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में प्रयोगशाला के महत्व एवं लाभ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खेल का मैदान/क्रीडास्थल पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- खेल के मैदान का महत्व बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय में खेल के मैदान की व्यवस्था किस प्रकार करनी चाहिए? समझाइये। उत्तर -
- प्रश्न- स्टाफ रूम / शिक्षक-कक्ष को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष ( Class Room) को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- बच्चों के अनुकूल स्कूल (Child Friendly School ) पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संस्थागत शासन से आपका क्या तात्पर्य है तथा संस्थागत प्रशासन में प्रधानाचार्य की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- कार्मिकों (स्टाफ) की भर्ती एवं चयन प्रक्रिया को समझाइये।
- प्रश्न- स्टाफ ( Staff) मूल्यांकन को समझाते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइये ?
- प्रश्न- स्टाफ ( शिक्षकों) के व्यावसायिक विकास को विस्तारपूर्वक समझाइये ?
- प्रश्न- विद्यालय में बैटक ( मीटिंग) की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की क्या भूमिका है? वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा प्रशासन के प्रारूपों का वर्णन कीजिये। शिक्षा व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रशासन के स्वरूप / संरचना का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डालिए और उसके उद्देश्यों को भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से शैक्षिक प्रशासन को कितने विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता है? स्वतन्त्र भारत में शिक्षा प्रशासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन कला है या विज्ञान? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन का अर्थ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीकरण एवं विकेन्द्रीकरण का अर्थ एवं विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के गुण एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य तथा आन्तरिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे शैक्षिक प्रशासक के गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्थागत क्रियाओं के सुशासन हेतु प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानाचार्य के पर्यवेक्षण सम्बन्धी कार्य का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन में प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में मीटिंग की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परिवेक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम क्या है ? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- स्वास्थ्य शिक्षा से आप कया समझते हैं? स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें।
- प्रश्न- विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालयीय चिकित्सा सेवा से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न पक्षों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- योग का अर्थ बताते हुए विभिन्न विद्वानों की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। अथवा योग शिक्षा से आप क्या समझते हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय मध्याह्न भोजन से आप क्या समझते है ? भोजन के विभिन्न कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्याह्न भोजन की आवश्यकता बताइए तथा निष्पादन पर इसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझते हैं? पौष्टिक आहार के विभिन्न तत्वों के स्रोतों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- एक चिकित्सा निरीक्षण क्या है?
- प्रश्न- टीकाकरण (Immunization) पर अपने विचार व्यक्त करिये ?
- प्रश्न- उचित मुद्रा (Posture ) के महत्व पर विचार प्रकट कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के केन्द्रीयकरण के नियम के गुणों को समझाइये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के नियम विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत हैं संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के स्वरूप को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- छात्रों के नियमित स्वास्थ्य निरीक्षण से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कलाई की योग मुद्राओं के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- चिकित्सा से सम्बन्धित शिक्षक के क्या कार्य या कर्त्तव्य होने चाहिए ?
- प्रश्न- मेडिकल या स्वास्थ्य रिकॉर्ड के अभिलेख का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम में अध्यापक की भूमिका का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (1. शैक्षिक नेतृत्व का अर्थ एवं प्रकार)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (2. दल निर्माण)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (3. शैक्षिक प्रशासन और स्कूल )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (4. विद्यालय में एक प्रभावी कक्षा कक्ष प्रबन्धन के लिए प्रबन्धन कार्यों का उपयोग करना )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (5. दल निर्माण में सम्प्रेषण का महत्व )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (6. विद्यालय प्रबन्धन में गुणवत्ता सुधार के लिए तथा स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य का कौशल)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (7. स्कूल (विद्यालय) - उसके कार्य और समाज से सम्बन्ध)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (8. स्कूल वातावरण : अर्थ एवं प्रकार, समय-सारणी, समय-सारणी तैयार के सिद्धान्त और तकनीक)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (9. प्रयोगशाला, खेल मैदान, छात्रावास, स्टाफ रूम, कक्षा-कक्ष)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (10. संस्थागत शासन, चयन प्रक्रिया, स्टाफ का मूल्यांकन)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (11. भारत में शैक्षिक प्रशासन के सिद्धान्त और उसकी संरचना )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (12. प्रधानाचार्य विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (13. स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के पर्यवेक्षक )